INS Vikrant : भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत और नौसेना का गर्व
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत भारतीय नौसेना की ताकत और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। जानिए इसके रोचक तथ्य और महत्व।
1. स्वदेशी निर्माण की मिसाल
INS Vikrant का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में हुआ, जहाँ भारतीय इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने इसे साकार किया। इसे बनाने में लगभग 13 साल का समय और हजारों विशेषज्ञों का योगदान रहा। यह आत्मनिर्भर भारत की भावना का सशक्त प्रतीक है।
2. विशाल आकार और आधुनिक क्षमताएँ
यह पोत किसी तैरते शहर से कम नहीं है। इसकी लंबाई लगभग 260 मीटर और चौड़ाई लगभग 60 मीटर है। इसमें 30 से अधिक लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। INS विक्रांत 28 नॉट्स (52 किमी/घंटा) की रफ्तार से समुद्र में दौड़ सकता है।
3. पुराना नाम, नई ताकत
“विक्रांत” नाम उस ऐतिहासिक जहाज से लिया गया है जिसने 1971 के युद्ध में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। नया INS Vikrant उसी गौरवशाली परंपरा का विस्तार है। “विक्रांत” का अर्थ है — विजेता, साहसी और शक्तिशाली।
4. तकनीक और शक्ति का संगम
INS विक्रांत में अत्याधुनिक नेविगेशन, रडार और एयर ऑपरेशन कंट्रोल सिस्टम मौजूद हैं। इससे लड़ाकू विमानों का संचालन तेज़ और सुरक्षित बनता है। यह पोत केवल युद्ध के लिए ही नहीं बल्कि आपदा राहत और मानवीय सहायता मिशनों में भी कारगर है।
5. जब प्रधानमंत्री मोदी ने INS Vikrant पर मनाई दिवाली
वर्ष 2025 की दिवाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसैनिकों के साथ INS Vikrant पर मनाई। उन्होंने जवानों के साहस और सेवा भावना की सराहना की और कहा कि यह पोत भारत की समुद्री सुरक्षा की “ढाल” है। यह क्षण पूरे देश के लिए गर्व का विषय था।
निष्कर्ष
INS विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत की मेहनत, तकनीक और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि भारत अब रक्षा-निर्माण में किसी पर निर्भर नहीं, बल्कि खुद अपनी शक्ति का निर्माता है। यह पोत भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और भविष्य दोनों का आधार है।